वर्ल्ड थैलासीमिया डे के उपलक्ष्य में Chhattisgarh Blood Donor Foundation के द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया

वर्ल्ड थैलासीमिया डे के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ ब्लड डोनर फ़ाउन्डेशन के द्वारा


रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था  जिसमे शहर के अलग अलग ब्लड बैंको में कुल 21 यूनिट रक्तदान हुआ है। 



#world_thalassemia_day   #थैलेसीमिया :एक अनुवांशिक रक्त रोग


CONTENTS भूमिका   थैलेसीमिया क्यों होता हैं ?थैलेसीमिया के प्रकार क्या हैं ?थैलेसीमिया  के लक्षण क्या हैं ?थैलेसीमिया  का निदान कैसे किया जाता हैं ?थैलेसीमिया  का उपचार कैसे किया जाता हैं ?थैलेसीमिया  को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?


भूमिका


थैलेसीमिया  यह एक अनुवांशिक रक्त रोग हैं। इस रोग के कारण रक्त / हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता हैं। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया  से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूर्ण परिवार के लिए कष्टों का सिलसिला लिए रहता हैं।



यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलती रहता हैं। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण / रेड ब्लड सेल(आर.बी.सी.) नहीं बन पाते है और जो थोड़े बन पाते है वह केवल अल्प काल तक ही रहते हैं। थैलेसीमिया  से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता हैं। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष एहतियात बरतने पर हम इसे आनेवाले पीढ़ी को होने से कुछ प्रमाण में रोक सकते हैं।


थैलेसीमिया  रोग का कारण, लक्षण, निदान और उपचार संबंधी अधिक जानकारी नीचे दी गयी हैं


थैलेसीमिया क्यों होता हैं ?


थैलेसीमिया  यह एक अनुवांशिक रोग है और माता अथवा पिता या दोनों के जींस में गड़बड़ी के कारण होता हैं। रक्त में हीमोग्लोबिन 2 तरह के प्रोटीन से बनता है - अल्फा  और बीटा ग्लोबिन। इन दोनों में से किसी प्रोटीन के निर्माण वाले जीन्स में गड़बड़ी होने पर थैलेसीमिया  होता हैं।



थैलेसीमिया के प्रकार क्या हैं ?


ऐसे तो थैलेसीमिया  के कई प्रकार किया जाते है पर मुख्यतः थैलेसीमिया  के दो प्रकार हैं।


थैलेसीमिया  माइनर


यह बीमारी उन बच्चों को होती है जिन्हे प्रभावित जीन्स माता अथवा पिता द्वारा प्राप्त होता हैं। इस प्रकार से पीड़ित थैलेसीमिया  के रोगियों में अक्सर कोई लक्षण नजर नहीं आता हैं। यह रोगी थैलेसीमिया  वाहक होते हैं।


थैलेसीमिया  मेजर


यह बीमारी उन बच्चों को होती है जिनके माता और पिता दोनों के जिंस में गड़बड़ी होती हैं। यदि माता और पिता दोनों थैलेसीमिया  माइनर हो तो होने वाले बच्चे को थैलेसीमिया  मेजर  होने का खतरा अधिक रहता है।


हैड्रोप फीटस


यह एक बेहद खतरनाक थैलेसीमिया  का प्रकार है जिसमे गर्भ के अंदर ही बच्चे की मृत्यु हो जाती है या पैदा होने के कुछ समय बाद ही बच्चा मर जाता हैं।


थैलेसीमिया  के लक्षण क्या हैं ?


थैलेसीमिया  माइनर: इसमें अधिकतर मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आता हैं। कुछ रोगियों में रक्त की कमी या एनीमिया हो सकता हैं।थैलेसीमिया  मेजर : जन्म के 3 महीने बाद कभी भी इस बीमारी के लक्षण नजर आ सकते हैं।बच्चों के नाख़ून और जीभ पिली पड़ जाने से पीलिया / जौंडिस का भ्रम पैदा हो जाता हैं।बच्चे के जबड़ों और गालों में असामान्यता आ जाती हैं।बच्चे की विकास  रुक जाती हैं और वह उम्र से काफी छोटा नजर आता हैं।सूखता चेहरावजन न बढ़नाहमेशा बीमार नजर आनाकमजोरीसांस लेने में तकलीफ


थैलेसीमिया  का निदान कैसे किया जाता हैं ?


बच्चे में थैलेसीमिया  की आशंका होने पर निदान करने के लिए नीचे दिए हुए जांच किये जाते हैं :


शारीरिक जांच


व्यक्ति की शारीरिक जांच और सवाल पूछ कर डॉक्टर थैलेसीमिया  का अंदाजा लगा सकते है। पीड़ित व्यक्ति में रक्त की कमी के लक्षण, लीवर और स्प्लीन में सूजन और शारीरिक विकास में कमी इत्यादि लक्षणों से थैलेसीमिया  का अंदाजा आ जाता हैं।


रक्त की जांच


माइक्रोस्कोप के नीचे रक्त की जांच करने पर लाल रक्त कण के आकार में कमी और अनियमितता साथ ही हीमोग्लोबिन की कमी से थैलेसीमिया  का निदान हो जाता हैं। हीमोग्लोबिन एलेक्ट्रोफोर्सिस जांच में अनियमित हीमोग्लोबिन का पता चलता हैं। म्युटेशनल एनालिसिस जांच करने पर अल्फा  थैलेसीमिया  का निदान किया जाता हैं।


थैलेसीमिया  का उपचार कैसे किया जाता हैं ?


रक्त चढ़ाना


थैलेसीमिया  का उपचार करने के लिए नियमित रक्त चढाने की आवश्यकता होती हैं। कुछ रोगियों को हर 10 से 15 दिन में रक्त चढ़ाना पड़ता हैं।ज्यादातर मरीज इसका खर्चा नहीं उठा पाते हैं। सामान्यतः पीड़ित बच्चे की मृत्यु 12 से 15 वर्ष की आयु में हो जाती हैं। सही उपचार लेने पर 25 वर्ष से ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं। थैलेसीमिया  से पीड़ित रोगियों में आयु के साथ-साथ रक्त की आवश्यकता भी बढ़ते रहती हैं। मेरा आप सभी से अनुरोध है की अगर आपक रक्त दान कर सकते है तो साल में कम से कम 2 बार ऐच्छिक रक्त दान अवश्य कीजिये ताकि आपके दिए हुए इस अनमोल दान से किसी बच्चे को जीवन दान मिल सकता हैं। रक्त दान कौन और कब कर सकता है इसकी सम्पूर्ण जानकारी लेने के लिए रक्तदान के विषय में पढ़े |


खेलासोन थेरेपी


बार-बार रक्त चढाने से और लौह  तत्व की गोली लेने से रोगी के रक्त में लौह  तत्व की मात्रा अधिक हो जाती हैं। लीवर, स्पीलिन, तथा ह्रदय में जरुरत से ज्यादा लौह  तत्व जमा होने से ये अंग सामान्य कार्य करना छोड़ देते हैं। रक्त में जमे इस अधिक लौह  तत्व को निकालने के प्रक्रिया के लिए इंजेक्शन और दवा दोनों तरह के ईलाज उपलब्ध हैं।


बोन मेरो ट्रांसप्लांट


बोन मेरो ट्रांसप्लांट और स्टेम सेल का उपयोग कर बच्चों में इस रोग को रोकने पर शोध हो रहा हैं। इनका उपयोग कर बच्चों में इस रोग को रोक जा सकता हैं।


थैलेसीमिया  को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?


थैलेसीमिया  को रोकने के लिए नीचे दिए हुए उपाय कर सकते हैं :


जागरूकता


आज समाज में थैलेसीमिया  को लेकर अज्ञानता हैं। हमें थैलेसीमिया  से पीड़ित लोगो में इस रोग संबंधी जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि इस रोग के वाहक इस रोग को और अधिक न फैला सके। आप भी इस लेख को सोशल मीडिआ पर शेयर कर थैलेसीमिया  संबंधी जागरूकता फ़ैलाने में हमारी मदद कर सकते हैं।


गर्भावस्था


अगर माता-पिता थैलेसीमिया  से ग्रस्त है तो गर्भावस्था के समय प्रथम 3 से 4 माह के भीतर परिक्षण द्वारा होनेवाले बच्चे को थैलेसीमिया  तो नहीं है इसका परिक्षण करना चाहिए।बच्चे को थैलेसीमिया  होने पर गर्भपात कराना चाहिए।


शादी


भारत में अक्सर शादी करने से पहले लड़के और लड़की की कुंडली मिलाई जाती है और फिर शादी की जाती हैं। थैलेसीमिया  से बचने के लिए शादी से पहले लड़के और लड़की की स्वास्थ्य कुंडली मिलानी चाहिए जिससे पता चल सके की उनका स्वास्थ्य एक दूसरे के अनुकूल है या नहीं। स्वास्थ्य कुंडली में थैलेसीमिया , एड्स, हेपेटाइटिस बी और सी, आरएच  फैक्टर इत्यादि की जांच कराना चाहिए। भारत में थैलेसीमिया  को ग्राहय / कैरी करनेवाले कुछ विशेष जाती के लोग ज्यादा हैं जैसे की ब्राम्हण, गुजराती, सिंधी, पंजाबी, बोहरा और मुस्लिम जाती के लोगो को रोकथाम के लिए स्वास्थ्य कुंडली का परिक्षण अवश्य कराना चाहिए।
आज वैद्यकीय विज्ञान इतना आगे बढ़ चूका है की जागरूक रहकर हम थैलेसीमिया  जैसे कई खतरनाक बिमारियों से खुद को बचा सकते हैं। इसमें जरा सी लापरवाही हमें बर्बाद कर सकती हैं।


 


मै हँस कर कहूंगा, अपनी दास्ता, तुम रो पड़ोगे ।
मै हूँ एक गलती का शिकार, बचावो लो अपना वंश, शादी से पहले करा के HbA2 टेस्ट. 
आवो मिलकर हम रक्तदान करे। 



Chhattisgarh Blood Donor Foundation
www.cgblooddonor.com 
7777802001