रायपुर छत्तीसगढ़  के किसानों की बढ़ेगी आय छोटी जमीन पर खेती करने वाले किसानों को कौशल सिखायेगी एसआईएमएसीईएस
छत्तीसगढ़  के किसानों की बढ़ेगी आय

छोटी जमीन पर खेती करने वाले किसानों को कौशल सिखायेगी एसआईएमएसीईएस

 

रायपुर - छोटे किसानों का कौशल संपन्न बनाने से कृषक समुदाय की सामूहिक विशेषज्ञता और सामूहिक शक्ति बढ़ेगी। इससे कृषि मूल्य श्रृंखला में कृषक समुदाय की स्थिति बेहतर होगी और आर्थिक स्थिति बेहतर होने से छत्तीसगढ़ का कृषि क्षेत्र पुराने दिनों की तर्ज पर स्वर्णिम दिनों को प्राप्त कर लेगा। यह बात पुणे स्थित कंपनी एसआईएमएसीईएस लर्निंग एलएलपी (एसआईआईएलसी) के कार्यकारी वाइस प्रेजिडेंट श्री बॉबी निबांलकर ने कही। यह कंपनी व्यवहार में परिवर्तन के जरिए व्यापक पैमाने पर सकारात्मक परिणाम और मास लर्निंग आधारित सोल्यूशंस पर काम कर रही है।

 

निबांलकर ने आगे कहा कि किसान एकीकृत सामूहिक ताकत से बेहतर मोलभाव का बेहतर तरीका सीख सकेंगे। इससे किसान पुराने ढर्रे को तोड़ सकेंगे और किसान हित समूह या कृषि उत्पाद से जुड़े संगठन (एफपीओ)  कारोबार करने का बेहतर तरीके सीख सकेंगे। ऐसे सामूहिक समूह भारत के किसानों की आर्थिक लड़ाई का जरिया बन सकते हैं।

 

राज्य की लगभग 80 फीसदी जनसंख्या खेती में संलग्न है और खेती योग्य 43 प्रतिशत जमीन पर खेती की जाती है। धान यहां की मुख्य फसल है और छत्तीसगढ़ के मध्यवर्ती मैदान मध्य भारत का धान के कटोरा कहे जाते हैं। यहां की अन्य प्रमुख फसलों में मोटे अनाज, गेहूँ, मक्का, मूंगफली, दलहन और तिलहन हैं। यह क्षेत्र आम, केले, अमरूद एवं विभिन्न तरह की सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है। यहां की 44 प्रतिशत जमीन वनाच्छादित है और यह राज्य देश में सर्वाधिक जैव विविधता वाले राज्यों में से एक है। यहां पर तेंदू पत्ता जैसी वनोपज भरपूर मात्रा में हैं।

 

हालांकि अन्य राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ के छोटे भूमिधारक किसानों को कृषि इनपुट, क्रेडिट की उपलब्धता, खेती की आधुनिक तकनीकों, इन्फॉर्मेशन की उपलब्धता एवं टेक्निकल सहायता मिलने में परेशानी होती है और छोटे भूमिधारक किसानों की मोलभाव करने की क्षमता सीमित रह जाती है। व्यवसायिक कृषि परिवर्तन कार्यक्रम पर आधारित तीन तत्वों, जैसे व्यक्तिगत खेती से सामूहिक खेती तक कौशल की व्यापक श्रृंखला, व्यवसायिक कंसल्टिंग सेवाओं द्वारा किसान उत्पादकों को वैल्यू चेन सपोर्ट प्रदान करना तथा किसान उत्पादक संगठनों में युवा किसानों को नौकरी देने से किसानों का सपना पूरा करने में मदद मिल सकती है।

 

‘‘छत्तीसगढ़ में कृषि एवं सहयोगी सेक्टर में न केवल किसानों को विकास के अवसर प्रदान करने बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने की भी अच्छी सामर्थ्य है। राज्य में कृषि-जलवायु की स्थितियां विविध तरह की हाई वैल्यू फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं हैं। राज्य में कृषि क्षेत्र की पूरी सामर्थ्य का उपयोग करने के लिए सरकार अपने जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करने पर विशेष ध्यान दे रही है। वर्षाजल पर किसानों की निर्भरता कम करने के लिए सरकार राज्य में सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। किसानों को कृषि विस्तार सेवाएं एवं लेटेस्ट टेक्निकल जानकारी प्रदान करने के लिए प्रयास किए जाने की जरूरत है। साथ ही ऊँची पैदावार देने वाली किस्मों, उनके उपयोग के प्रदर्शनों तथा कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को कौशल का प्रशिक्षण दिए जाने की भी जरूरत है। कृषि का विकास राज्य के सामाजिक आर्थिक विकास का स्रोत है। आधुनिक खेती में पूंजी का अत्यधिक उपयोग होने के चलते किसानों को खेती के लिए ऋण उपलब्ध होना, 

 

खासकर छत्तीसगढ़ के संदर्भ में फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है। छत्तीसगढ़ में छोटे किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। कम पैदावार एवं गिरती आय के लिए खराब मौसम या फिर मौसम की भीषण परिस्थियां जिम्मेदार हैं। अपनी संलग्नता द्वारा हम राज्य में स्थिति में परिवर्तन लाना चाहते हैं; ज्यादा लचीले कृषि क्षेत्र का निर्माण, खाद्य सुरक्षा में वृद्धि करना और किसानों की आय बढ़ाना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ की यूनिवर्सिटी में युवाओं को प्रशिक्षण और उत्पादन करने वाली कंपनियों में रोजगारविहीन किसानों का उपयोग कर काले बादलों को छांटा जा सकता है। इससे जीवन में खुशहाली आएगी।

 

भारत में पैलेडियम के निदेशक बारबोरा स्टैंकोविकोवा ने कहा कि हम छोटी कृषि जोत के किसानों यथास्थिति बदलने के लिए धीरे-धीरे व्यवहार और विश्वासों के जरिए प्रेरित कर रहे हैं। इसका अभूतपूर्व परिणाम सामने आ रहा है और पूरे राज्य में बदलाव लाए जाने की जरूरत है। किसानों और मार्केट के बीच की खाई पाटने के लिए गांव के युवा सबसे अच्छे मानव संसाधन हैं। खेती में तेजी से बदलती तकनीक, किसान की जरूरतों और मार्केट के लए एक्सटेंशन आपरेटर का कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया है। अब एक्सटेंशन के कार्य करने जरूरी हो गए हैं।

 

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