Raipur- 19th June- विश्व सिकल सेल रोग दिवसः फोर्टिस गुरुग्राम के डॉक्टरों ने रायपुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया

 विश्व सिकल सेल रोग दिवसः फोर्टिस गुरुग्राम के डॉक्टरों ने रायपुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया

विश्व सिकल सेल रोग दिवस हर साल 19 जून को मनाया जाता है

 

रायपुर, 19 जून, 2025: सिकल सेल रोग (एससीडी) भारत में आम जन को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती हैजो खासतौर से जनजातीय (ट्राइबल) आबादी को प्रभावित करती है। दुनियाभर में, एससीडी विकार के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की सर्वाधिक संख्या भारत मेंदर्ज की जाती है और हर साल यहां लगभग 15,000 से 25,000 बच्चे इस विकार के साथ पैदा होते हैं। उल्लेखनीय है किसिकल सेल रोग जनजातीय आबादी को काफी प्रभावित करता है और इसकी वजह से आबादी के इस समूह में रोगों और मृत्यु के मामले भी अधिक होते हैं। इस रोग के कारण एनीमियाशारीरिक पीड़ाअंगों को नुकसान पहुंचने के साथ-साथ जीवन प्रत्याशा में भी कमी आती है।

सिकल सेल रोग (एससीडी) की गंभीर चुनौती से निपटने के उद्देश्य सेफोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूटगुरुग्राम ने आज रायपुर, छत्तीसगढ़ में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरानसिकल सेल रोग को वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती के तौर पर स्वीकार करने और इसके उन्मूलन के लिए रणनीति तैयार करने पर जोर दिया गया। डॉ विकास दुआप्रिंसीपल डायरेक्टरएवं हेड – पिडियाट्रिक हेमेटोलॉजीहेमेटो-ओंकोलॉजीएंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी)फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूटगुरुग्राम के नेतृत्व मेंसिकल सेल रोग के प्रभावोंखासतौर से भारत की ट्राइबल आबादी और अन्य हाइ-रिस्क आबादी समूहों पर इसके असर को रेखांकित किया गया।

 



मीडिया के साथ बातचीत मेंडॉ दुआ ने सिकल सेल रोग के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ उपचार के उन्नत विकल्पों तथा पात्र मरीजों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की उपचारी क्षमता के बारे में भी बताया। उन्होंने एम्स रायपुर में आयोजित स्पेशल एचएलए टाइपिंग कैंप में भी भाग लियाजिसका आयोजन जेनेटिक स्क्रीनिंग और डोनर मैचिंगजो कि सिकल सेल से पीड़ित रोगियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैको बढ़ावा देने के लिए किया गया था।

इस मौके परसंवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुएडॉ विकास दुआप्रिंसीपल डायरेक्टरएवं हेड – पिडियाट्रिक हेमेटोलॉजीहेमेटो-ओंकोलॉजीएंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी)फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट,गुरुग्राम ने कहाभारत में सिकल सेल रोगियों की दूसरी सर्वाधिक आबादी निवास करती है। देश में सिकल सेल एनीमिया से लड़ाई के खिलाफ सबसे बड़ी बाधा आम आबादी के बीच जागरूकता का अभाव है। सिकल सेल रोग के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना समय पर हस्तक्षेप और प्रबंधन के लिए जरूरी हैंलेकिन आमतौर पर जानकारी न होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाता। शुरुआती लक्षणअक्सर 5-6 माह की उम्र में दिखायी देते हैंजिनमें हाथ-पैरों में दर्द के साथ सूजनथकान और पीलिया (जॉन्डिस) प्रमुख हैं। लेकिन कई लोगों को काफी उम्र बीत जाने तक भी अपनी कंडीशन समझ में नहीं आतीऔर यही वजह है कि इस बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्क्रीनिंग कार्यक्रमों का आयोजन करना काफी महत्वपूर्ण कदम है। यदि मौजूदा पीढ़ी में इस रोग से बचाव हो सकेतो इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचने से रोका जा सकता है। इसके लिए मुख्य रणनीति है बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलानाजिनमें नवजातों की सक्रीनिंग और प्रसवपूर्व स्क्रीनिंग से लेकर सिकल सेल रोग (एससीडी) और सिकल सेल ट्रेट (एससीटी) से ग्रस्त लोगों की शुरूआत में ही पहचान करना शामिल है। साथ हीएससीडी के संभावित उपचार के तौर पर पात्र बच्चों एवं युवा वयस्कों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है। कुल-मिलाकर, जल्द से जल्द डायग्नॉसिसजेनेटिक स्क्रीनिंगऔर एचएलए टाइपिंग महत्वपूर्ण है जिससे समय पर प्रभावी उपचार सुनिश्चित होता है।”

 

सिकल सेल रोग गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो भारत में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह रोग गुजरातमहाराष्ट्रछत्तीसगढ़ओडिशा और बंगाल के कुछ हिस्सों में सामान्य हैजबकि तमिलनाडुकेरलदक्षिण और तेलंगाना के कुछ हिस्से भी इससे प्रभावित हैं। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिकभारत करीब 20 मिलियन की आबादी सिकल सेल रोग से पीड़ित है लेकिन इसके आनुवांशिक रक्त विकार होने के बावजूदअभी तक भी इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है।